कोण्डागांव आज जिला बन चुका है। पर जब यह जिला महज गा्रम पंचायत था उस समय कोण्डगांव के सरपंच रहे कांतिलाल वल्लभ दास गांधी महात्मा गांधी के साथ महज 14 साल की उम्र से ही जुड गये थे। वे महात्मागांधी के विचारों से इतना प्रभावित थे कि उन्होने बाल अवस्था से ही देष को आजाद कराने की मुहिम में हमेषा आगे रहा करते थे। उनके पोत कपिल गांधी ने हरिभूमि को बताया कि उनके दादा का जन्म गुजरात के सौराष्ट्र के धारी कस्बा में सन 1900 में हुआ। जब वे मात्र 14 की उम्र के थे उसी समय महात्मा गंाधी के साथ पोरबंदर में उनकी मुलाकात हुयी। और एक साथ जेल गये थे। वे जीवन भर गांधीवाद के साथ जीते रहे। 1942 में अंग्रेजो भारत छोडो आंदोलन में वे पूरी ताकत के साथ सक्रिय रहे। आजादी के बाद वे अपने संस्मरण बडे जोष के साथ बताया करते थे। उन्होने 1986 में कोण्डागांव में अंतिम सांस ली। वे अपने अंतिम समय तक पूरी तरह स्वस्थ और सक्रिय थे। लोगों के काफी दवाब आने के बाद भी उन्होने स्वतंत्रता सेनानी की सूची में सामिल होने के लिये कभी आवेदन नहीं किया। परिजन उनके पुराने फोटो गा्रफ बहुत सहेज कर रखे है। हालांकि समय के साथ कई छाया चित्र खराब भी हो गये है। उनका परिवार आज भी कटटर कांग्रेसी माना जाता है। पूर्व प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी उनका बेहद सम्मान करती थी।
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